प्रवीण चन्द्र रॉय Pcroy
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रविवार, 10 मई 2015
इश्क में रूकना था
न तू रूकी
न मैं रूका...
अब
न इश्क है
न गीत है,
न जश्न है
न जाम है,
न उम्र है
न ख्वाब है,
न मौसम है
न इन्तजार है।
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