रविवार, 10 मई 2015

इश्क में रूकना था


न तू रूकी
न मैं रूका...
अब
न इश्क है
न गीत है,
न जश्न है
न जाम है,
न उम्र है
न ख्वाब है,
न मौसम है
न इन्तजार है।

बुधवार, 2 जुलाई 2014

सपाट बदन 

स्त्रीवाद नारीत्व गुणात्मक
एंजेलिना पर
थीसीस लिखेंगी
कैम्ब्रिज की लड़कियां
और हावर्ड के कुछ लड्कें 
|
एक स्रोत में
एंजेलिना नहीं मिलेंगी
तब उठाएंगे
दूसरे संदर्भ ग्रंथ |
यूं कहें
एक प्रमाणित स्रोत
एक सारगर्भित स्रोत
एक अखंडित स्रोत
एक वैज्ञानिक स्रोत
एक सतत स्रोत
एक हष्ट-पुष्ट स्रोत
तलाशे जायेंगे
डिजिटल पुस्तकालयों में
गूगल सरीखे  मकड़जाल के डालियों में |


अगर कुछ अनछुआ रह गया तो
थेसीस के मार्गदर्शी
टीचर गाइड प्रोफेसर
संभाल लेंगे हथकंडों का मोर्चा |
थेसीस के आगे 
कई बहसबाज आते जाते लड़ते एंजेलिना की छाती पीटते 
जिसमें 
बीआरसीए-1 मास्केटोमी स्तन कैंसर
कहीं दबा
कहीं छुपा
कहीं चुप
कहीं ढका है |
एंजेलिना के सपाट बदन की चर्चा
खूब बहुत खूब
बेधड़क हुई होती रही |
उनकी रूपहली दुनिया की चाहत में
कैंसर कैंसर हो गया |    
तीन कवितायें... परिकथा , जनवरी -फरवरी 2014 अंक में प्रकाशित ...

शनिवार, 8 मार्च 2014

दिल

तुम्हारे हमारे
नन्हे दिल में छेद है 



ऑखें उदास
चेहरा बदहवास ।
प्रिय सरकार 
कुछ मद्दद कर दो
दिल्ली मुंबई में इलाज दे दो ।

सरकारी चिट्ठी में ...
दिल से सोच

चुनाव निकट है
इस बार वोट तक
अपना दिल धड़कने दे
कुर्सी पर आऊंगा
तुम्हारा छोटा छेद भरने में
पूरा खजाना झोंक दूंगा

दर्द >>>>>

दर्द पुराना है
पर
उन्होंने छिपाया
गले लगाया
मजे मजे में

वर्षो बाद
लोकप्रियता के खण्डहर में
आज दर्द बिकेगा
आज दर्द हॅसेगा
आज दर्द खुःश है 
मजे मजे में

सॉरी

जब पुरुष पुरुष को धक्का देता है तब 'सॉरी' से काम चल जाता है \ जब महिला महिला को धक्का देती है तब भी 'सॉरी' से काम चल जाता है \ महिला पुरुष को धक्का देती है तब सॉरी कुछ ज्यादा हीं सॉरी हो जाता है \ लेकिन जब एक पुरुष महिला को धक्का देता , तब सॉरी नहीं... कुछ वौरी वौरी... हीं हो जाता है | ये है महिला सशक्तिकरण में छिपा रहस्य ???
'सॉरी'